Tuesday 15 May 2012

khayal uska

 ख्याल  उसका भुलाने को जी मे  आया है ,
अजीब मोड़  मेरी   जिन्दगी मे  आया है 
हवा  चिरागों  मे   टूटी है  कहेर   बन कर 
जो  मेरा  नाम कभी  रौशनी  मे  आया है 
सब  अपनी  जात  मे  गुम  है सब अपने आप मे  मस्त 
ये  इन्कलाब  हमारी  सदी  मे  आया  है 
उखड  रहे  है  जड़ो  मे  पहाड़  जेसे  दरख़्त 
बहाव  ऐसा  नदी  मे  कुछ आया हू 
उसी  क़े   खवाब सजाये  है मेरी आँखों ने 
उसी का जिक्र  मेरी शायरी मे  आया है 
वह वह न मिला रास्ता  उभरने का 
जहा जहा भी हुनर मुफलिसी मे  आया है !!

साहिल  सहेरी 

   

No comments:

Post a Comment